Silence always has a noise. It require to acquire the skill to listen this noise in silence. Every silence has its own noise. My silence speaks about human, humanity, love, compassion, nature. What does your silence says to you? Listen it carefully, you will be amazed........
Just launched. All terrain. Completely mettalic. Fully automatic
Let’s have a ride on clouds. Clouds are messengers of sky just arrived to give message to mountains who are there to receive message for earth. Message received. Mountains just whispered to the clouds, “Love you”
HELLO LOVELIES
Let's do something interesting, whosoever will reblog this will get something in their inbox, based on their blog or maybe something else. But will definitely get something🦋💕🥀
I was waiting for her She told she will come for whatever Her curly hair was trying to cover her left eye She was continuously keeping that naughty hair behind her ear I was dreaming for her While I was waiting for her I felt the cold breeze On my shoulder It has the fragrance of her I can feel her My retina was not able to make her image I was feeling like sage Sun was moving very fast as going to see his fiancé It was like a race I had a hope that Today we will come face to face And when my this hope was about to vanish She appeared with a sound of the swish Scene was set The day was going to meet the night It was a beautiful sight Our meeting was light But it kept our emotions tight We met In the midst of sunset.
ऐसा लगता है
जैसे अभी कल ही की बात हो
जब मैं तुझसे आगे आगे भागता हुआ
अपने छोटे छोटे क़दमों से चलते हुए
तेरी पकड़ से दूर निकलना चाहता था
पर तेरी पहुँच के हमेशा पास
है न माँ,
मेरी माँ,
और मेरे पीछे पीछे हाथों को फैलाए हुए दौड़ती तेरी ममता
पकड़ ही लेती थी मुझे|
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब बैग में मेरा टिफिन रखती औत कहती
ख़त्म कर के आना
और स्कूल से आने के बाद सबसे पहले टिफिन देखती
आज कोई नहीं कहता
खाने को, माँ
खुद ही
पड़ता है खाना बनाना और
अकेले बैठ के खाना,
फिर भी लगता है कि
रसोई से तू बोल रही है,
बेटा एक रोटी और लाऊँ
ऐसी है माँ,
मेरी माँ,
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मुझे बुखार होने पर
तू रात भर नहीं सोई,
भगवान् की तस्वीर के आगे छुप-छुप कर रोई,
मेरे माथे पर गीली पट्टी रखते बदलते
मैंने देखे हैं तेरे आंसू निकलते,
अभी कल मैं बीमार था
शायद मुझे बुखार था
बीह्ग गया था ऑफिस से आने में
कपडे देर से बदले जाने अनजाने में,
बदन तप कर दर्द से टूट रहा था
ऐसा लगा कि तेरा साथ छूट रहा था,
तभी एकदम से मेरे अंदर हिम्मत आयी,
खुद ही उठ कर पानी लिया और दवा खाई,
जब सोया तो सिराहने पर तुझे पाया
तूने मेरे बालों को सहलाया,
और बोली, सब ठीक हो जायेगा
अभी थोड़ी देर में बुखार उतर जायेगा
सुबह फिर ऑफिस जाना था
पास न होते हुए भी तू थी यही मैंने जाना था,
है न माँ,
मेरी माँ!
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मैं अच्छे नम्बरों से हुआ था पास,
तब तोडा था तूने रिजल्ट वाले दिन का उपवास,
रिजल्ट मेरा आया था
पर उस दिन तू हुई थी पास
अपने हाथों से बना कर मिठाई,
पास पड़ोस में तूने बटवाई
जब मैंने तेरे पैर छुए
तब तेरी आँख छलक आई,
पिछले महीने ही हुआ मेरा प्रमोशन
ऑफिस वालों के सेलिब्रेशन
केक काटा गया
सब में बाटा गया
मैं तलाश रहा था उन आँखों को जो ख़ुशी के मौके पर भी छलकती हैं
उस भीड़ भरे हॉल में मैं था अकेला,
जब मैं अपना रुमाल उठाने के लिए झुका
उसी समय किसी ने मेरे सर को छुआ
दूर रहकर भी रहती है मेरे पास
तू ही है न माँ,
मेरी माँ!
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मेर खोई हुई किताब ढूढ़ने में
तूने सारा घर छान मारा
आस पास के बच्चों से से भी की जांच पड़ताल
ढूंढ कर ही रही तू मेरी किताब हर हाल
आज दुनिया की इस भीड़ में खो गया है तेरा लाल
आज शायद जिंदगी का सफ़र तय करते करते
बहुत दूर निकल आया हूँ
पर आज भी लगता है कि
तेरी ममता भरी आँखें और चमत्कारिक स्पर्श
मौलिक – अमौलिक रूप से मुझे छू रहा है
हैं न माँ
मेरी माँ
और मैं चाह कर भी तुझसे दूर नहीं जा सकता
क्योंकि मैं तो तेरा ही अंश हूँ
और मैं खुद को खुद से अलग तो नहीं कर सकता
क्योंकि मैं तेरी पकड़ से ही तो दूर हूँ
पर तेरी पहुँच के बहुत पास
है न माँ
मेरी माँ
(रवि प्रताप सिंह)
Dreams
Often we meet them in our subconscious state,
Sometime we remember, often we forget.
Sometimes they disturb our sleep,
Often we take a dive into them very deep.
Dreams our dreams
Why they come?
What they tell?
It is still a mystery,
People do study dream’s chemistry.
Synonym of success, and victory.
Dreams our dreams.
Sometimes dreams try to show our upcoming days,
They warn us through their own ways.
It happens with most of us,
Generally our feet got stuck when we had to run in dream,
Our voice don’t come out when we try to scream, in our dream.
Dreams our dreams.
People do comment,
Your dream will remain dream.
People do suggest,
Always have big dream.
Dreams are always around us as comment,
As our own reflection,
As insight,
Sometime as motivation.
Dreams our dreams.
It is good to have dreams,
It acts as catalyst in or life.
Dreams are there to materialize into truth,
Dream are there to mobilize the youth.
One should not live in dreams,
One should try to live their dreams.
Sometimes we have dream of team,
I too have a dream
World having no violence, hatred, grief, hunger,
I call you to be partner
In my dream
I am sure, together we can fulfill this dream.
Dreams our dreams.
(Ravi Pratap Singh)
Try to get connected with you.
ख़ामोशी
निशब्द मानव ध्वनि रहित
अलग अलग जगह
अपने अर्थों के साथ सर्वत्र विद्यमान है
ख़ामोशी !
जैसे ही मैं धरती पर आया
मैं खामोश रहा
तब माँ का दिल घबराया
मुझे हिलाया डूलाया मेरी पीठ को सहलाया
और तो और मुझे चुटकी भी काटी
और तब मैं अपने पूरे आवेग से अपनी पहली क्रंदन ध्वनि निकाल पाया
कुछ महीने बाद
मेरी उसी क्रंदन ध्वनि से व्याकुल होती मेरी माँ
परेशान रहती तब तक जब तक की मैं खामोश नहीं हो जाता
मेरे जन्म के कुछ महीने में ही मेरी ख़ामोशी के दो अलग अलग मतलब
ढूंढ लिए थे दुनिया वालों ने ,
कुछ एक साल बाद मुझे विद्यालय नमक संस्था में भेजा गया
वहां मुझसे अपेक्षा की गई कि
मेरी आवाज और ख़ामोशी किसी और के अधीन रहेगी
वहां पूरे जोर शोर से सबसे पहले मुझे शांत रहना सिखाने की साजिश की गई
मैं तभी बोलता या खामोश रहता
जब वो मुझे कहता या कहती,
एकदम मशीनी काम
लड़कपन में अपनी बंदिशे तोड़ दी मैंने
मुखर हो रहा था
पास पड़ोस के लोगो ने कहा
बहुत बोलता है
अपने से बड़ो को जवाब देता है
बिगड़ रहा है लड़का चिंता का विषय था
जितने भी लोग मुझसे बड़े थे और बड़े होने में उनका कोई भी योगदान नहीं था
सबने अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करके मुझे शांत करने की कोशिश की
और काफी हद तक इस दमनात्मक कार्यवाही में सफल रहे
कुछ असहज सा अनुभव
पैदा कर देता हलचल
मन हो जाता व्याकुल
पर अब तक वाणी ने शब्दों का साथ छोड़ दिया था
और मन की बातों को कलम के सहारे कोरे कागज की तरफ मोड़ दिया था
अब मैं खुद से बातें करता
खामोश रह कर खूब शोर करता
और उसी शोर को कागज पर कलम के सहारे उतार देता
इसी तरह के माहौल से होता हुआ मैं युवा हुआ (और ज्यादातर ऐसे ही होते हैं)
पहले मुझे आश्चर्य होता था की
क्यों कुछ गलत होने पर लोग आवाज नहीं उठाते
फिर धीरे धीरे समझ आया कि आवाज उठाने की सजा तो यह बचपन से ही खाते आयें है
फिर कैसे कोई आवाज उठेगी
लेकिन जिन्दा कौमे सवाल पूंछती है
जागरूक समाज आवाज उठाता है
परन्तु हाय रे इस देश का दुर्भाग्य
यहाँ तो आवाज नीचे रखने और खामोश रहने की अफीम तो बचपन से ही दी जाती है
इसलिए इस सोये हुए समाज में मौत का सन्नाटा है
आओ आगे बढ़ो!
आवाज लगाओ
सवाल उठाओ
जिद करो जवाब पाने की
और अगली पीढ़ी को तैयार करो
सिंह गर्जना के लिए
स्वतंत्र चिंतन के लिए
तभी इस देश का स्वर्णिम समय आएगा
तोड़ो इस सन्नाटे को
छोड़ो इस ख़ामोशी को
क्योंकि एक दिन खुद ही हमेशा के लिए खामोश हो जाएगी
मेरी और तुम्हारी आवाजें
तो उस कयामत के दिन से पहले
कुछ ऐसा करें की हमारी आवाजें
हमारे जाने के बाद भी
तोडती रहें निशब्द मानव ध्वनि रहित
ख़ामोशी ! ख़ामोशी ! ख़ामोशी!
(रवि प्रताप सिंह )
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