Why do people behave the way, they do?
Why do they laugh, when someone cry?
Why do they don’t, when they have to try?
Why do they leave, when they have to hold?
Why do they be timid, when they are expected to be bold?
Why do people behave the way, they do?
Why do they tight their lips, when they have to shout?
Why do they search something within, when they have to look out?
Why do they sink, when it is time rise?
Why do they misunderstand, when they have to understand?
Why do they bear, when they it’s time to tear apart?
Why do people behave the way, they do?
Why do they freeze, when it’s time to act?
Why do they ponder so much, when they know its fact?
Why do they behave as blind, when its time to stand as witness?
Why do they prove as curse, when they have option to be bless?
Why do people behave the way, they do?
Note: I know there are various theories and principles to answer these above mentioned questions, the million dollar question is that why these awkward act of people are still happening in this world to make this place horrible when there is a chance to make it Eden.
HELLO LOVELIES
Let's do something interesting, whosoever will reblog this will get something in their inbox, based on their blog or maybe something else. But will definitely get something🦋💕🥀
It's drizzling outside as well as inside
Rain outside
Thoughts inside
Peasants are planting paddy
I am sowing words
They are doing outside
I am doing inside
Both of us have same cause of our actions
The magic know as rain and
It's drizzling outside
As well as inside.
Space2write (Ravi)
ख़ामोशी
निशब्द मानव ध्वनि रहित
अलग अलग जगह
अपने अर्थों के साथ सर्वत्र विद्यमान है
ख़ामोशी !
जैसे ही मैं धरती पर आया
मैं खामोश रहा
तब माँ का दिल घबराया
मुझे हिलाया डूलाया मेरी पीठ को सहलाया
और तो और मुझे चुटकी भी काटी
और तब मैं अपने पूरे आवेग से अपनी पहली क्रंदन ध्वनि निकाल पाया
कुछ महीने बाद
मेरी उसी क्रंदन ध्वनि से व्याकुल होती मेरी माँ
परेशान रहती तब तक जब तक की मैं खामोश नहीं हो जाता
मेरे जन्म के कुछ महीने में ही मेरी ख़ामोशी के दो अलग अलग मतलब
ढूंढ लिए थे दुनिया वालों ने ,
कुछ एक साल बाद मुझे विद्यालय नमक संस्था में भेजा गया
वहां मुझसे अपेक्षा की गई कि
मेरी आवाज और ख़ामोशी किसी और के अधीन रहेगी
वहां पूरे जोर शोर से सबसे पहले मुझे शांत रहना सिखाने की साजिश की गई
मैं तभी बोलता या खामोश रहता
जब वो मुझे कहता या कहती,
एकदम मशीनी काम
लड़कपन में अपनी बंदिशे तोड़ दी मैंने
मुखर हो रहा था
पास पड़ोस के लोगो ने कहा
बहुत बोलता है
अपने से बड़ो को जवाब देता है
बिगड़ रहा है लड़का चिंता का विषय था
जितने भी लोग मुझसे बड़े थे और बड़े होने में उनका कोई भी योगदान नहीं था
सबने अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करके मुझे शांत करने की कोशिश की
और काफी हद तक इस दमनात्मक कार्यवाही में सफल रहे
कुछ असहज सा अनुभव
पैदा कर देता हलचल
मन हो जाता व्याकुल
पर अब तक वाणी ने शब्दों का साथ छोड़ दिया था
और मन की बातों को कलम के सहारे कोरे कागज की तरफ मोड़ दिया था
अब मैं खुद से बातें करता
खामोश रह कर खूब शोर करता
और उसी शोर को कागज पर कलम के सहारे उतार देता
इसी तरह के माहौल से होता हुआ मैं युवा हुआ (और ज्यादातर ऐसे ही होते हैं)
पहले मुझे आश्चर्य होता था की
क्यों कुछ गलत होने पर लोग आवाज नहीं उठाते
फिर धीरे धीरे समझ आया कि आवाज उठाने की सजा तो यह बचपन से ही खाते आयें है
फिर कैसे कोई आवाज उठेगी
लेकिन जिन्दा कौमे सवाल पूंछती है
जागरूक समाज आवाज उठाता है
परन्तु हाय रे इस देश का दुर्भाग्य
यहाँ तो आवाज नीचे रखने और खामोश रहने की अफीम तो बचपन से ही दी जाती है
इसलिए इस सोये हुए समाज में मौत का सन्नाटा है
आओ आगे बढ़ो!
आवाज लगाओ
सवाल उठाओ
जिद करो जवाब पाने की
और अगली पीढ़ी को तैयार करो
सिंह गर्जना के लिए
स्वतंत्र चिंतन के लिए
तभी इस देश का स्वर्णिम समय आएगा
तोड़ो इस सन्नाटे को
छोड़ो इस ख़ामोशी को
क्योंकि एक दिन खुद ही हमेशा के लिए खामोश हो जाएगी
मेरी और तुम्हारी आवाजें
तो उस कयामत के दिन से पहले
कुछ ऐसा करें की हमारी आवाजें
हमारे जाने के बाद भी
तोडती रहें निशब्द मानव ध्वनि रहित
ख़ामोशी ! ख़ामोशी ! ख़ामोशी!
(रवि प्रताप सिंह )
The dense fog
And your first sight
Almost a yard in my right
I stumbled against you
Just kneeling down
You gave me your hand
And my heart gone band.
Inside the class
I was just in for you
That was the day
When I found
Others say
I lost my way.
In every movie
I have assumed you
My partner
I made cards for you
Never dared to give you
You were always with me
When I was roaming around the school ground.
I have written those three magical words for you.
And one day I dare put my letter inside your bag.
And next day
I was called in principal office.
I couldn't figure out
What I have done
I saw your father with that paper
She asked did you write it
I accepted and
Got canes on my both hands.
Said sorry
Came back to class and your smiling face was enough.
I keep noticing your smile,
Walk, the way you talk and your style
I remained in conversation with you
Volumes can be written on those silent conversation between me and you
That was even without you.
Very soon we passed out from school
My friends teased me and said you were biggest fool.
Why you wrote your name on letter?
I said then for what else I wrote the letter.
Still I have goosebumps
While writing all these.
I don't know what was that...
It was nice .....
ऐसा लगता है
जैसे अभी कल ही की बात हो
जब मैं तुझसे आगे आगे भागता हुआ
अपने छोटे छोटे क़दमों से चलते हुए
तेरी पकड़ से दूर निकलना चाहता था
पर तेरी पहुँच के हमेशा पास
है न माँ,
मेरी माँ,
और मेरे पीछे पीछे हाथों को फैलाए हुए दौड़ती तेरी ममता
पकड़ ही लेती थी मुझे|
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब बैग में मेरा टिफिन रखती औत कहती
ख़त्म कर के आना
और स्कूल से आने के बाद सबसे पहले टिफिन देखती
आज कोई नहीं कहता
खाने को, माँ
खुद ही
पड़ता है खाना बनाना और
अकेले बैठ के खाना,
फिर भी लगता है कि
रसोई से तू बोल रही है,
बेटा एक रोटी और लाऊँ
ऐसी है माँ,
मेरी माँ,
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मुझे बुखार होने पर
तू रात भर नहीं सोई,
भगवान् की तस्वीर के आगे छुप-छुप कर रोई,
मेरे माथे पर गीली पट्टी रखते बदलते
मैंने देखे हैं तेरे आंसू निकलते,
अभी कल मैं बीमार था
शायद मुझे बुखार था
बीह्ग गया था ऑफिस से आने में
कपडे देर से बदले जाने अनजाने में,
बदन तप कर दर्द से टूट रहा था
ऐसा लगा कि तेरा साथ छूट रहा था,
तभी एकदम से मेरे अंदर हिम्मत आयी,
खुद ही उठ कर पानी लिया और दवा खाई,
जब सोया तो सिराहने पर तुझे पाया
तूने मेरे बालों को सहलाया,
और बोली, सब ठीक हो जायेगा
अभी थोड़ी देर में बुखार उतर जायेगा
सुबह फिर ऑफिस जाना था
पास न होते हुए भी तू थी यही मैंने जाना था,
है न माँ,
मेरी माँ!
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मैं अच्छे नम्बरों से हुआ था पास,
तब तोडा था तूने रिजल्ट वाले दिन का उपवास,
रिजल्ट मेरा आया था
पर उस दिन तू हुई थी पास
अपने हाथों से बना कर मिठाई,
पास पड़ोस में तूने बटवाई
जब मैंने तेरे पैर छुए
तब तेरी आँख छलक आई,
पिछले महीने ही हुआ मेरा प्रमोशन
ऑफिस वालों के सेलिब्रेशन
केक काटा गया
सब में बाटा गया
मैं तलाश रहा था उन आँखों को जो ख़ुशी के मौके पर भी छलकती हैं
उस भीड़ भरे हॉल में मैं था अकेला,
जब मैं अपना रुमाल उठाने के लिए झुका
उसी समय किसी ने मेरे सर को छुआ
दूर रहकर भी रहती है मेरे पास
तू ही है न माँ,
मेरी माँ!
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मेर खोई हुई किताब ढूढ़ने में
तूने सारा घर छान मारा
आस पास के बच्चों से से भी की जांच पड़ताल
ढूंढ कर ही रही तू मेरी किताब हर हाल
आज दुनिया की इस भीड़ में खो गया है तेरा लाल
आज शायद जिंदगी का सफ़र तय करते करते
बहुत दूर निकल आया हूँ
पर आज भी लगता है कि
तेरी ममता भरी आँखें और चमत्कारिक स्पर्श
मौलिक – अमौलिक रूप से मुझे छू रहा है
हैं न माँ
मेरी माँ
और मैं चाह कर भी तुझसे दूर नहीं जा सकता
क्योंकि मैं तो तेरा ही अंश हूँ
और मैं खुद को खुद से अलग तो नहीं कर सकता
क्योंकि मैं तेरी पकड़ से ही तो दूर हूँ
पर तेरी पहुँच के बहुत पास
है न माँ
मेरी माँ
(रवि प्रताप सिंह)
Stand alone
Mountain, trees, flowing water in stream, paddy planting, step fields what else you need to fall in love with nature. Soothing to eyes and massage to mind. I love it.
A part of life I wanted to relive.
54 posts